व्याकरण
“व्याकरण किसी भाषा के शुद्ध और स्थायी रूप को निश्चित करने के लिए एक नियमबद्ध योजना है.”
जिसके द्वारा हमें भाषा की शुद्धियों और अशुद्धियों का ज्ञान होता है, वह व्याकरण कहलाता है।
जैसे-
राम स्कूल गया है। (शुद्ध)
राम स्कूल गई है। (अशुद्ध)
मनुष्य मौखिक एवं लिखित भाषा में अपने विचार प्रकट कर सकता है और करता रहा है किन्तु इससे भाषा का कोई निश्चित एवं शुद्ध स्वरूप स्थिर नहीं हो सकता।
भाषा के शुद्ध और स्थायी रूप को निश्चित करने के लिए एक नियमबद्ध योजना की आवश्यकता होती है और उस नियमबद्ध योजना को हम व्याकरण कहते हैं।
साधारण शब्दों में – व्याकरण वह शास्त्र है, जिससे भाषा को शुद्ध लिखने, बोलने और पढने का ज्ञान सीखा जाता है। शुद्ध लिखने के लिए व्याकरण को जानने की बहुत जरूरत होती है। व्याकरण से भाषा को बोलना और लिखना आसान होता है। व्याकरण से हमें भाषा की शुद्धता का ज्ञान होता है। भाषा को प्रयोग करने के लिए हमें भाषा के नियमों को जानने की जरूरत है। इन्ही नियमों की जानकारी हमें व्याकरण से मिलती है।
व्याकरण और भाषा का संबंध
कोई भी व्यक्ति व्याकरण को जाने बिना भाषा के शुद्ध रूप को नहीं सीख सकता। इसी वजह से भाषा और व्याकरण का बहुत गहरा संबंध है। व्याकरण, भाषा के उच्चारण, प्रयोग, अर्थों के प्रयोग के रूप को निश्चित करता है।
व्याकरण के अंग
वर्ण विचार
शब्द विचार
पद विचार
वाक्य विचार
1. वर्ण विचार – इस विचार में वर्णों के उच्चारण, रूप, आकार, भेद, वर्णों को मिलाने की विधि, लिखने की विधि बताई जाती है।
2. शब्द विचार – इस विचार में शब्दों के भेद, व्युत्पत्ति, रचना, रूप, प्रयोगों, उत्पत्ति आदि का अध्ययन करवाया जाता है।
3. पद विचार – इस विचार में पद का तथा पद के भेदों का वर्णन किया जाता है।
4. वाक्य विचार – इस विचार में वाक्यों की रचना, उनके भेद, वाक्य बनाने, वाक्यों को अलग करने, विराम चिन्हों, पद परिचय, वाक्य निर्माण, गठन, प्रयोग, उनके प्रकार आदि का अध्ययन करवाया जाता है।
CLASS;:VI HINDI. भाषा
किसी भी भाषा के समुचित अध्ययन से पहले हमें यह जानना बेहद जरुरी होता है कि भाषा क्या है?, लिपि क्या है?, और व्याकरण क्या है?. ये तीनों किसी भी भाषा का मूल आधार हैं. इस लेख में हम जानने की कोशिश करेंगे कि भाषा किसे कहते हैं? भाषा के कितने भेद हैं? भाषा और बोली में क्या अंतर है? लिपि क्या होती है? व्याकरण क्या होता है? भाषा और व्याकरण का क्या सम्बन्ध है? व्याकरण के कितने अंग हैं? इत्यादि.
भाषा क्या है?
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह एक समाज में रहता है जहाँ वह अपने विचारों, भावनाओं को बोलकर ही व्यक्त करता है। भाषा को ध्वनि संकेतों की व्यवस्था माना जाता है। यह मनुष्य के मुँह से निकली हुई अभिव्यक्ति होती है। इसे विचारों के आदान प्रदान का एक आसान साधन माना जाता हैं। इसके शब्द प्राय: रूढ़ होते हैं।
संस्कृत भाषा सबसे प्राचीन भाषा मानी जाती है. इसको हिंदी भाषा की जननी भी माना जाता है। संस्कृत से हिंदी भाषा के विकास में एक लम्बा समय लगा है. सबसे पहले संस्कृत से पालि, पालि से प्राकृत, प्राकृत से अपभ्रंश, तब अपभ्रंश से हिंदी भाषा का विकास हुआ है।
भाषा की परिभाषा:-
भाषा शब्द संस्कृत की ‘भाष’ धातु से लिया गया है, जिसका अर्थ है- ‘बोलना’।
हमारे भावों और विचारों की अभिव्यक्ति के लिए रूढ़ अर्थों में जो ध्वनि संकेतों की व्यवस्था प्रयोग में लायी जाती है, उसे भाषा कहते हैं।
दूसरे शब्दों में – “भाषा वह साधन है, जिसके माध्यम से हम सोचते हैं, तथा अपने विचारों को व्यक्त करते हैं।“
साधारण शब्दों में – “जब हम अपने विचारों को लिखकर या बोलकर प्रकट करते हैं और दूसरों के विचारों को सुनकर या पढ़कर ग्रहण करते हैं, तो उसे भाषा कहते हैं।“
मनुष्य कभी शब्दों, कभी सिर हिलाने या संकेत द्वारा भी अपने विचारों को अभिव्यक्त करता है। किन्तु भाषा केवल उसी को कहा जाता है, जो बोली जाती है या सुनी जा
लिपि (Lipi)
किसी भाषा के लिखने के अक्षरों के समूह को लिपि कहते हैं। अर्थात किसी भाषा को लिखने के लिए जिन चिन्हों की जरूरत होती है, उन चिन्हों को लिपि कहते है। लिपि भाषा का लिखित रूप होता है। इसके माध्यम से मौखिक रूप की ध्वनियों को लिखकर प्रकट किया जाता है। सारी भाषाओँ के लिखने की लिपि अलग होती है।
जैसे-हिन्दी भाषा की लिपि देवनागरी है तथा पंजाबी की लिपि गुरुमुखी है।
भाषा लिपि
हिंदी, संस्कृत, मराठी देवनागरी
पंजाबी गुरुमुखी
उर्दू, फ़ारसी फ़ारसी
अरबी अरबी
बंगला बंगला
रूसी रूसी
अंग्रेज़ी, जर्मन, फ्रेंच, स्पेनिश रोमन
हिंदी व संस्कृत भाषा की लिपि देवनागरी है।
देवनागरी लिपि की विशेषताएं –
इसे दाएं से बाएं लिखा जाता है।
हर वर्ण का आकार समान होता है।
ये उच्चारण के अनुरूप लिखी जाती हैं।
Exercise questions
“व्याकरण किसी भाषा के शुद्ध और स्थायी रूप को निश्चित करने के लिए एक नियमबद्ध योजना है.”
जिसके द्वारा हमें भाषा की शुद्धियों और अशुद्धियों का ज्ञान होता है, वह व्याकरण कहलाता है।
जैसे-
राम स्कूल गया है। (शुद्ध)
राम स्कूल गई है। (अशुद्ध)
मनुष्य मौखिक एवं लिखित भाषा में अपने विचार प्रकट कर सकता है और करता रहा है किन्तु इससे भाषा का कोई निश्चित एवं शुद्ध स्वरूप स्थिर नहीं हो सकता।
भाषा के शुद्ध और स्थायी रूप को निश्चित करने के लिए एक नियमबद्ध योजना की आवश्यकता होती है और उस नियमबद्ध योजना को हम व्याकरण कहते हैं।
साधारण शब्दों में – व्याकरण वह शास्त्र है, जिससे भाषा को शुद्ध लिखने, बोलने और पढने का ज्ञान सीखा जाता है। शुद्ध लिखने के लिए व्याकरण को जानने की बहुत जरूरत होती है। व्याकरण से भाषा को बोलना और लिखना आसान होता है। व्याकरण से हमें भाषा की शुद्धता का ज्ञान होता है। भाषा को प्रयोग करने के लिए हमें भाषा के नियमों को जानने की जरूरत है। इन्ही नियमों की जानकारी हमें व्याकरण से मिलती है।
व्याकरण और भाषा का संबंध
कोई भी व्यक्ति व्याकरण को जाने बिना भाषा के शुद्ध रूप को नहीं सीख सकता। इसी वजह से भाषा और व्याकरण का बहुत गहरा संबंध है। व्याकरण, भाषा के उच्चारण, प्रयोग, अर्थों के प्रयोग के रूप को निश्चित करता है।
व्याकरण के अंग
वर्ण विचार
शब्द विचार
पद विचार
वाक्य विचार
1. वर्ण विचार – इस विचार में वर्णों के उच्चारण, रूप, आकार, भेद, वर्णों को मिलाने की विधि, लिखने की विधि बताई जाती है।
2. शब्द विचार – इस विचार में शब्दों के भेद, व्युत्पत्ति, रचना, रूप, प्रयोगों, उत्पत्ति आदि का अध्ययन करवाया जाता है।
3. पद विचार – इस विचार में पद का तथा पद के भेदों का वर्णन किया जाता है।
4. वाक्य विचार – इस विचार में वाक्यों की रचना, उनके भेद, वाक्य बनाने, वाक्यों को अलग करने, विराम चिन्हों, पद परिचय, वाक्य निर्माण, गठन, प्रयोग, उनके प्रकार आदि का अध्ययन करवाया जाता है।
CLASS;:VI HINDI. भाषा
किसी भी भाषा के समुचित अध्ययन से पहले हमें यह जानना बेहद जरुरी होता है कि भाषा क्या है?, लिपि क्या है?, और व्याकरण क्या है?. ये तीनों किसी भी भाषा का मूल आधार हैं. इस लेख में हम जानने की कोशिश करेंगे कि भाषा किसे कहते हैं? भाषा के कितने भेद हैं? भाषा और बोली में क्या अंतर है? लिपि क्या होती है? व्याकरण क्या होता है? भाषा और व्याकरण का क्या सम्बन्ध है? व्याकरण के कितने अंग हैं? इत्यादि.
भाषा क्या है?
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह एक समाज में रहता है जहाँ वह अपने विचारों, भावनाओं को बोलकर ही व्यक्त करता है। भाषा को ध्वनि संकेतों की व्यवस्था माना जाता है। यह मनुष्य के मुँह से निकली हुई अभिव्यक्ति होती है। इसे विचारों के आदान प्रदान का एक आसान साधन माना जाता हैं। इसके शब्द प्राय: रूढ़ होते हैं।
संस्कृत भाषा सबसे प्राचीन भाषा मानी जाती है. इसको हिंदी भाषा की जननी भी माना जाता है। संस्कृत से हिंदी भाषा के विकास में एक लम्बा समय लगा है. सबसे पहले संस्कृत से पालि, पालि से प्राकृत, प्राकृत से अपभ्रंश, तब अपभ्रंश से हिंदी भाषा का विकास हुआ है।
भाषा की परिभाषा:-
भाषा शब्द संस्कृत की ‘भाष’ धातु से लिया गया है, जिसका अर्थ है- ‘बोलना’।
हमारे भावों और विचारों की अभिव्यक्ति के लिए रूढ़ अर्थों में जो ध्वनि संकेतों की व्यवस्था प्रयोग में लायी जाती है, उसे भाषा कहते हैं।
दूसरे शब्दों में – “भाषा वह साधन है, जिसके माध्यम से हम सोचते हैं, तथा अपने विचारों को व्यक्त करते हैं।“
साधारण शब्दों में – “जब हम अपने विचारों को लिखकर या बोलकर प्रकट करते हैं और दूसरों के विचारों को सुनकर या पढ़कर ग्रहण करते हैं, तो उसे भाषा कहते हैं।“
मनुष्य कभी शब्दों, कभी सिर हिलाने या संकेत द्वारा भी अपने विचारों को अभिव्यक्त करता है। किन्तु भाषा केवल उसी को कहा जाता है, जो बोली जाती है या सुनी जा
लिपि (Lipi)
किसी भाषा के लिखने के अक्षरों के समूह को लिपि कहते हैं। अर्थात किसी भाषा को लिखने के लिए जिन चिन्हों की जरूरत होती है, उन चिन्हों को लिपि कहते है। लिपि भाषा का लिखित रूप होता है। इसके माध्यम से मौखिक रूप की ध्वनियों को लिखकर प्रकट किया जाता है। सारी भाषाओँ के लिखने की लिपि अलग होती है।
जैसे-हिन्दी भाषा की लिपि देवनागरी है तथा पंजाबी की लिपि गुरुमुखी है।
भाषा लिपि
हिंदी, संस्कृत, मराठी देवनागरी
पंजाबी गुरुमुखी
उर्दू, फ़ारसी फ़ारसी
अरबी अरबी
बंगला बंगला
रूसी रूसी
अंग्रेज़ी, जर्मन, फ्रेंच, स्पेनिश रोमन
हिंदी व संस्कृत भाषा की लिपि देवनागरी है।
देवनागरी लिपि की विशेषताएं –
इसे दाएं से बाएं लिखा जाता है।
हर वर्ण का आकार समान होता है।
ये उच्चारण के अनुरूप लिखी जाती हैं।
Exercise questions
Answers
Class VI. Hindi I. L-1
विद्रोह करो
(क) 1. ब 2.अ 3. अ 4.अ
5. ब
(ख) 1.कविता के माध्यम से कवि का परवशता के जीवन का विद्रोह करने का आह्वान है।
2.कवि अन्याय सहने हेतु शर्म करने के लिए कहता है।
3.वीरोचित कर्म करने वाले लोगों पर कवि का 'शर्म' कहना आरोपित है।
4.कवि पराधीनता जीवन के विरुद्ध विद्रोह चाहता है।
5.कायरता को कवि पशुता मानता है।
Hindi I Lesson 1 Answers
Complete and B.H.
Class VI. Hindi I. L-1 Answer
विद्रोह करो
(क) 1. ब 2.अ 3. अ 4.अ
5. ब
(ख) 1.कविता के माध्यम से कवि का परवशता के जीवन का विद्रोह करने का आह्वान है।
2.कवि अन्याय सहने हेतु शर्म करने के लिए कहता है।
3.वीरोचित कर्म करने वाले लोगों पर कवि का 'शर्म' कहना आरोपित है।
4.कवि पराधीनता जीवन के विरुद्ध विद्रोह चाहता है।
5.कायरता को कवि पशुता मानता है। (ग) 1.जो वीरों के लिए उचित हो वही कार्य करने चाहिए।
2.मानव को दूसरों की अधीनता पर शर्म आनी चाहिए।
3.कवि ने वीरोचित कर्म करने का संदेश दिया है ताकि प्रत्येक मानव अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो सके।
4.विद्रोह करने से मनुष्य के जो अधिकार हैं वे उसे प्राप्त हो सकेगें।
(घ)1.जीवन को व्यर्थ बीतने का सबसे बड़ा कारण कायरता है।जो व्यक्ति कायर होता है अर्थात जिसमें अपने अधिकारों को प्राप्त करने हेतु विरोध की भावना नहीं होती उस व्यक्ति का जीवन व्यर्थ हो जाता है।
2.प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन से कायरता को त्यागकर अपने अधिकारों को प्राप्त करने का सम्पूर्ण प्रयास करना चाहिए। यदि मनुष्य में अपने अधिकारों को प्राप्त करने हेतु साहस का अभाव होता है तो प्रत्येक व्यक्ति उसे पराजित करने का प्रयास करता है। इसलिए व्यक्ति को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए।इसी में जीवन की सार्थकता है।
3.वीरोचित कर्म करते हुए सम्पूर्ण शक्ति से अन्याय का विरोध करने का संदेश दिया है।
Complete QA
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